Friday, October 4, 2019

Learning Hindi : 1 (HINDI ALPHABETS )


ALAPHBETS IN HINDI

Consonants 

Ka – ,    Kha-ख,    Ga-ग,  Gha,

Cha-च,  Chha-छ,  Ja-ज, Jha–झ, 
  
Ta-ट,   Tha-ठ,   Da -ड,  Dha-,  Na 

Ta- त,  Tha-थ, Da-द,  Dha- Na- 

Pa–प्,  Pha-फ,  Ba-ब.  Bha-भ,  Ma-म, 

Ya-य,  Ra-र,     La-ल   Va-व       Sa-स  

Sha-श Sha-ष. Ha-ह,  Ksha-क्ष, Tra-त्र, Gya ज्ञ

 Vowels of Hindi 

 A-अ, Aa -I आ EE-ी-,  U ु- ि ,  उ-u,  ू -OO  ृ -Hri, E -

े    ऐ- Ai ,  ओ- ो. -O   औ- ौ -Au  अं .-Ang   अः,:-Aha 




Monday, September 30, 2019

बढ़िया कंटेंट कैसे लिखे


Content जिसे हिंदी में विषय-वास्तु कहा जा सकता है. मौजूदा दौर में बेहतर Content की डिमांड हर क्षेत्र में है . Content लिखने से पहले Content के विषय को निर्धारित किया जाता है. किस विषय के किस Topic पर कंटेंट लिखना ये फ़ाइनल होने के बाद कंटेंट डेवलपमेंट की प्रक्रिया शुरू होती है. Content लिखने से पहले ये भी ध्यान में रखना होता है कि हम किस माध्यम के लिए कंटेंट लिख रहे हैं . मौजूदा डिजिटल दौर में अधिकतर डिजिटल प्लेटफोर्म के लिए Content की डिमांड ज्यादा होती है. एक बेहतरीन Content यानी Article writing के लिए जिन प्रमुख बिन्दुओं का ध्यान रखना होता है वो निम्न प्रकार है .

 Select the Subject 

सबसे पहले content subject क्लियर होना चाहिए .Subject जिसकी डिमांड हो, जो किसी समस्या का सामाधान करता हो, कोइ जानकारी या विचार देता हो. यदि किसी संस्था, कंपनी या वेबसाईट के लिए content लिखते समय उसके अनुसार विषय का निर्धारण होता है . content के विषय का निर्धारण करते समय इस बात ध्यान रखना चाहिए कि Whom To Write? यानी किसके लिए लिख रहे हैं.  

  • Research :

 जिस विषय पर content लिखते है, उस विषय की पूरी जानकारी होना आवश्यक है.  इस लिए जिस विषय पर लिखने जा रहे हैं उसका व्यापक अध्ययन होना आवश्यक है. किसी भी Topic पर कंटेंट लिखने से पहले उस विषय के बारे विभिन्न श्रोतों से उस विषय के विभिन्न पहलुओं की जानकारी हासिल करनी चाहिए. उस विषय से सम्बंधित लिखे अन्य content पढ़ना चाहिए.
सरल और सहज शब्दों का चयन :

जब कोई भी Article या content इस तरह लिखा जाना चाहिए कि हर वर्ग का पाठक उसे पढ़ के आसानी से समझ ले. हिंदी में Content लिखते समय कठीन शब्दों का प्रयोग करने की जगह आम प्रयोग में आने वाले शब्दों का प्रयोग बेहतर होता है. वाक्य ज्यादा बड़े होने के बजाय छोटे वाक्य ज्यादा communicative होते हैं . इसलिए सरल शब्द, छोटे वाक्य के साथ गूढ़ विषय को प्रस्तुत कर देना ही Content Writing की सफलता है. 

 

आकर्षक शीर्षक : 


शीर्षक ऐसा होना चाहिए जैसे गागर में सागर. यानी कम से कम शब्दों सरलता से विषय का परिचय करादेना ही सफल शीर्षक माना जाता है . ऐसे होना चाहिए जो कुछ ही शब्दों पूरे content के सब्जेक्ट से रूबरू करा दे . ब्लॉग या वेबसाईट के लिए कंटेंट लिखते समय टॉपिक का जिक्र  heading में सही नहीं होगा तो विजिटर कंफ्यूज हो जायेंगे और वह  ब्लॉग से तुरंत ही वापस चले जायेंगे. जिससे ब्लॉग का बाउंस रेट high हो जायेगा जो ब्लॉग के लिए सही नहीं है.

शुरुआत बेसिक विषय-वास्तु से करें : 


आप जिस भी टॉपिक पर आर्टिकल लिख रहे हो. उसे शुरू से शुरू करे.  मतलब यह की टॉपिक के बेसिक चीजो को शुरू में जरुर बताये. जैसे मैंने अपने इस आर्टिकल high quality content kaise likhe? में पहले यह बताया है की high quality content kya hota hai?

प्रस्तुति और लेखन शैली  ( Presentation and Writing Style )

: Content लिखते समय कंटेंट के विषय वस्तु के प्रस्तुति का भी महत्त्व होता है . कंटेंट के विषय के आधार पर कंटेंट के प्रस्तुतीकरण की शैली निर्भर करता है. कंटेंट आम तौर पर दो तरह का होता है,  dhate mahatv ke aadhaar pr present kiyaa jataa hai .


मौजूदा दौर में  search engine friendly C0ntent लिखना जरूरी है . 

 

यदि आप अपने ब्लॉग को लेकर काफी सीरियस है और उसे एक कैरियर के रूप में चाहते है तो आपको हमेशा search engine friendly articles लिखना होगा. क्योकि बगैर इसके आप सर्च इंजन में आप अच्छी रैंकिंग नहीं प्राप्त कर सकते है. और बगैर अच्छी रंकिंग के आर्गेनिक ट्रैफिक नहीं बढेगी.

Sunday, September 22, 2019

Introducation of Hindi Langiage


Hindi is the most widely spoken language of India, and is the primary official language of the Republic of India. According to the number of native speakers, Hindi is one of the most widely spoken languages in the world.

Hindi is spoken widely in the north-central regions of India. It is spoken much less widely in South India. India is spoken as the primary language in the states of Madhya Pradesh and Uttar Pradesh.
Hindi is additionally spoken in many other countries throughout the world. A large number of Indian expatriates live in English-speaking regions such as the United Kingdom, America, Australia, New Zealand, Canada, and South Africa. Hindi is spoken in countries which neighbor India, such as Bangladesh and Nepal. Hindi and Urdu are essentially dialects of the same language, and Urdu is spoken in Pakistan.

Hindi derives its vocabulary from several major sources, including Sanskrit, Persian, and Arabic. English vocabulary has been incorporated into Hindi also, especially in colloquial Hindi.
Hindi and Urdu are essentially different registers of the same language. They differ mainly in vocabulary, most prominently in formal and literary styles.

 Literary Hindi draws from Sanskrit whereas literary Urdu draws from Persian and Arabic. However, in colloquial Hindi-Urdu, the vocabulary is mixed. Grammatically, the two languages are basically identical. Some people refer to the language as “Hindustaani”, and consider Hindi and Urdu to be the two primary dialects of this language.
Hindi originated in 17th century by the mixing of the Polulau languages of the areas around Delhi (capital of India) with Urdu and Persian (brought in by Muslim rulers from the west).
Hindi is indirectly derived from Sanskrit, the ancient language of India from which most of the Indian languages are derived. Hindi is heavily influenced by Urdu and even Persian, although it still retains the Devanagari script of Sanskrit.

Spoken Hindi and spoken Urdu are so similar that they are mutually intelligible by native speakers. In their literary forms, however, Hindi borrows more heavily from Sanskrit while Urdu borrows vocabulary from Persian and Arabic.

अनुवाद और उनके प्रकार


अनुवाद क्या है . 
अनुवाद के बारे में कई परिभाषाये है, कम शब्दों में ट्रांसलेशन Translation एक Language के Content का उसके मूल भाव के साथ उसके अर्थ को दूसरी भाषा के शब्दों में निरूपित करना ही Translation है . अनुवाद करने वाले को अनुवादक ( Translator)  और अनुवाद की हुई रचना को अनूदित( Translated) कहते हैं। अनुवाद की श्रेष्ठता अनुवादक की योग्यता पर निर्भर है। अनूदित रचना Translator  के लिए ये आवश्यक होता है कि मूल लेखों के भावों की पूर्ण रक्षा की जाय और अनूदित रचना में वही शक्ति हो जो मूल रचना में वर्त्तमान है। मूल लेखक के विचारों से असहमत होते हुए भी अनुवादक को उसी के विचारों को प्रकट करना पड़ता हैं। अतः अनुवादक को तभी सफलता मिलती है वह दोनों भाषाओं के शब्दों, मुहावरों, कहावतों और शक्तियों का ठीक-ठीक ज्ञान रखता है। अँग्रेजी से हिन्दी में अनुवाद करते समय अँग्रेजी और हिन्दी व्याकरण की भित्र-भित्र विशेषताओं को ध्यान में रखना आवश्यक है ।

अनुवाद के प्रकार ( Kind of Translation)
 (1) शब्दानुवाद या अविकल अनुवाद (Literal translation)
(2)
भावानुवाद (Faithful translation)

(1) शब्दानुवाद (Literal Translation)-  

यह मूल भाषा का शाब्दिक अनुवाद हैं। कि शब्दों पर ध्यान रख कर अनुवाद करना अनुचित है। इससे अर्थ का अनर्थ हो सकता है और मूल अर्थ ही विकृत हो जायेगा। अतः शब्दानुवाद एक खतरा है, जिससे भरसक बचना चाहिए। यह स्मरण रखना चाहिए कि अनुवाद शब्दों का नहीं अर्थों का होता है।
(2) भावानुवाद (Faithful translation)-  

लेखक के मूल भावों या अर्थों को अपनी भाषा में प्रकट कर देना 'भावानुवाद' है। अँग्रेजी में इसे 'Faithful translation' कहते हैं। इसमें यह देखना पड़ता है कि मूल भाषा का एक भी भाव छूटने न पाये। इसकी सफलता इस बात में है कि मूल भाषा के सभी भाव दूसरी भाषा में रूपान्तरित हो जायँ। यहाँ अनुवादक का ध्यान शब्दों पर न जा कर विशेष रूप से मूल भाव पर रहता हैं।
''भावानुवाद में हम मूल भाषा के शब्दों को तोड़-मरोड़ सकते हैं, वाक्यों को आगे-पीछे कर सकते हैं, मुहावरों को अपने साँचे में ढाल सकते हैं, लेकिन वाक्यों को अपने इच्छानुसार घटा-बढ़ा नहीं सकते। भावानुवाद तात्पर्य में, आकार-प्रकार में, मूल भाषा से बिल्कुल मिलता-जुलता हैं। इसमें न अपनी ओर से निमक-मिर्च लगा सकते हैं, न लम्बी-चौड़ी भूमिका बाँध सकते हैं। जो बात जिस उद्देश्य को ले कर जिस ढंग से कही गयी हैं, उस बात को, उसी उद्देश्य से और जहाँ तक हो उसी ढंग से कहना पड़ता हैं।''

गलत शब्दों की सही हिंदी : 1



अशुद्ध
शुद्ध
अतिथी
अतिथि
आध्यात्म
अध्यात्म
आधीन
अधीन
अनाधिकार
अनधिकार
आयू
आयु
इतिहासिक, एतिहासिक
ऐतिहासिक
एनक
 ऐनक
कठिनाईयां
कठिनाइयाँ
कवी
कवि
कहानीयों
कहानियां
कीर्ती
कीर्ति
कूआं
कुआँ
गुरू
गुरु
चाहिये
चाहिए
जलवायु
जलवायु
त्यौहार
त्योहार
दयालू
दयालु
दुबारा
दुबारा
धातू
धातु
धूँआ
धुंआ